Ayurvedic Vatika effect of smartphones on child development : बच्चों के लिए मोबाइल देखना आजकल हॉबी बन चुका है। आजकल मा-बाप बच्चों का रोना बंद करने के लिए उसके हाथ में मोबाइल दे देते हैं। इससे जुड़ी बहुत सारे मामले आते रहते है। आज का मामला जबलपुर का है, जहां चार साल का एक बच्चा रील्स देखने की वजह से अपनी मातृभाषा में नही बोल पाता और न ही कुछ समझ पाता है। वह सिर्फ रील्स में देखी गई आधी-अधूरी और अजीबो-गरीब चीनी-जापानी भाषा बोल रहा है।
चलिए जाने क्या है पूरा मामला
जबलपुर में एक दम्पत्ति ने अपने डेढ़ साल के बच्चे की देखभाल करने के लिए एक आया रखी हुई थी। माता-पिता काम पर जाते ही आया बच्चे को फोन पकड़ा देती थी। बच्चे का स्क्रीन समय धीरे-धीरे बहुत बढ़ गया। साथ ही बच्चा जो सामग्री देख रहा था, उससे भी बच्चा की भाषा प्रभावित होने लगी।
इस प्रकार, बच्चा हर दिन छह से सात घंटे मोबाइल देखते हुए चार साल का हो गया। लम्बे समय तक मोबाइल देखने के कारण बच्चा हिंदी बोलना नहीं सीखा और भाषा की समझ विकसित नहीं हुई। उसकी स्थिति से परेशान होकर माता-पिता ने डॉक्टरों की सहायता ली। बच्चे को अब जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में इलाज दिया जा रहा है।
क्या कहते है विशेषज्ञ:
बाल और किशोर मनोचिकित्सक डाक्टर हीरल कोटडिया के अनुसार बच्चों में यह एक गंभीर समस्या लगातार देखने में आ रही है। लंबे समय तक मोबाइल और टीवी देखने की आदत से बच्चों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य खराब हो जाता है।
बच्चों के ब्रेन के विकास के लिए उनके जीवन के पहले पांच साल बहुत महत्वपूर्ण हैं। यही समय है जब बच्चा भाषण सीखता है, समाज में घुल जाता है और बोलता है। वह इसी समय अपने भावनाओं को व्यक्त करना भी सीखता है। इन सभी के लिए बच्चा सीधे तौर पर बड़ों, बच्चों और अपने आसपास के वातावरण से जुड़ा होना आवश्यक है। effect of smartphones on child development
बढ़ती उम्र के साथ बच्चा टच, स्मेल, विजन, हियरिंग और टेस्ट को समझ और सीखता है। यदि बच्चे को ऐसा एनवायरमेंट किसी भी कारण से नहीं मिलता है, तो बच्चे में “फॉल्टी ब्रेन वायरिंग” या “फॉल्टी ब्रेन डेवलपमेंट” होता है।
बच्चे मोबाइल देखने की लत या स्क्रीन पर अधिक समय बिताने की वजह से वास्तविक या शारीरिक दुनिया को नहीं समझ पाते हैं। जिसकी वजह से कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे बच्चा भाषा सीखने में देर करे या भाषा सीखने में मुश्किल हो। इससे उसका सोशल संबंध भी नकारात्मक हो सकता है। साथ ही, बच्चा भावनाओं को समझने और व्यक्त करने में भी असमर्थ होगा। स्क्रीन पर अधिक समय बिताने से बच्चे को ओबेसिटी जैसी शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं। effect of smartphones on child development
American Academy of Pediatrics ने कहा कि दो साल तक के बच्चों का स्क्रीन समय जीरो होना चाहिए। 2 से 5 साल के बच्चे का स्क्रीन टाइम भी माता-पिता के सुपरविजन में 1 घंटा ही होना चाहिए।